पंजाब में सत्तारुढ़ कांग्रेस के अंदर शीर्ष स्तर पर जारी तनातनी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. सूत्रों के मुताबिक एक बार फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच की नाराजगी एक बार फिर बढ़ गई है. सिद्धू एक बार फिर दिल्ली पहुंच गए हैं.
इसी मुद्दे पर हरीश रावत की ओर से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के कारण नवजोत सिंह सिद्धू नाराज होकर दिल्ली में सोनिया गांधी से मिलने आ गए हैं. इस बीच हरीश रावत ने आज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात की.
कैप्टन अमरिंदर से नहीं मिले सिद्धू
सूत्रों के अनुसार आज बुधवार को हरीश रावत ने नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास साथ चलने के लिए कहा था. लेकिन उनके कहे को दरकिनार करके नवजोत सिंह सिद्धू सीधे दिल्ली पहुंच गए.
जबकि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 18-सूत्रीय कार्यक्रम के लिए रखी गई अपनी बैठक में तमाम मुद्दों पर सफाई देने के लिए पंजाब के एडवोकेट जनरल और पंजाब के डीजीपी को बुलाया हुआ था. तीन घंटे चली इस बैठक में कांग्रेस हाईकमान द्वारा दिए गए 18-सूत्रीय कार्यक्रम पर विस्तार से चर्चा भी हुई.
एक दिन पहले ही मंगलवार को पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत चंडीगढ़ पहुंचे और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने अलग-अलग मुद्दों पर बातचीत की. सिद्धू के साथ पंजाब कांग्रेस के अन्य नेता भी मौजूद रहे. दोनों के बीच पंजाब कांग्रेस की राजनीति और रणनीति को लेकर बातचीत हुई.
पार्टी में थोड़ा बहुत विवादः हरीश रावत
नवजोत सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी अमरिंदर सरकार पर हमला बोलने से नहीं चूक रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इसलिए चिंतित है कि कहीं दोनों नेताओं की तल्खियां राज्य में कांग्रेस की नींव न कमजोर कर दें.
हरीश रावत ने कल कहा था कि पार्टी में थोड़ा बहुत विवाद है, जिसकी वजह से चंडीगढ़ आना पड़ा है. कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं है, राज्य के भीतर कांग्रेस पूरी तरह से एकजुट है. जल्द ही सभी पक्षों से मुलाकात कर उनकी बातें सुनी जाएंगी. सभी के राय का स्वागत है.
दूसरी ओर, राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का अपनी ही सरकार पर निशाना साधना जारी है. पहले बिजली के मुद्दे पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार को निशाना बनाया और अब नशे के मुद्दे को लेकर उन्होंने सवाल खड़े किए हैं. सिद्धू का कहना है कि पिछले पांच साल में राज्य सरकार ने नशे के खिलाफ जारी लड़ाई में कोई ठोस एक्शन नहीं लिया है.