रामपुर में बीजेपी उम्मीदवार ने 34 हजार वोटों की बड़ी बढ़त बनाई, आजमगढ़ में भाजपा के ‘निरहुआ’ करीब 7 हजार वोटों से आगे

लखनऊ। यूपी की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। इन सीटों पर सपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं बीजेपी इन दोनों सीटों पर जीत हासिल करके रिकॉर्ड बनाने की चाह रही है। आजमगढ़ में शुरूआती रुझानों में धर्मेंद्र यादव आगे चल रहे थे लेकिन भाजपा उम्मीदवार दिनेश ने बढ़त बना ली थी। धर्मेंद्र यादव और निरहुआ के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा है। भाजपा उम्मीदवार करीब 2200 वोटों से आगे चल रहे हैं। यहां बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली तीसरे स्थान पर हैं। रामपुर में भाजपा उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी और सपा प्रत्याशी के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा था, लेकिन अब भाजपा के घनश्याम लोधी ने करीब 34 हजार वोटों की ब़ड़ी बढ़त बना ली है।

रामपुर सीट पर सपा उम्मीदवार असीम रजा को 318442 वोट मिले हैं और घनश्याम लोधी को 352674 वोट मिले हैं। जबकि आजमगढ़ में धर्मेंद्र यादव को 186578 वोट, दिनेश लाल यादव को 193802 और गुड्डू जमाली को 163143 वोट मिले हैं। भाजपा और सपा के दोनों सीटों पर मुकाबला कांटे का नजर आ रहा है। रामपुर में असीम रजा को 15 हजार वोटों की बढ़त हासिल थी लेकिन उन्होंने अपनी बढ़त गंवा दी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 6 राउंड की गिनती बाकी है।

यूपी के आजमगढ़ में सपा नेता धर्मेंद्र यादव स्ट्रांग रूम की ओर जा रहे थे तभी पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया, जिस पर सपा नेता अपना आपा खो बैठे। धर्मेंद्र यादव ने गुस्से में कहा कि ये आजमगढ़ है… हम ये बर्दाश्त नहीं करेंगे।

रामपुर और आजमगढ़ में गुरुवार को हुए लोकसभा उपचुनावों में कम मतदान ने दोनों सीटों पर आमने-सामने की लड़ाई का संकेत दिया है। आजमगढ़ में जहां 49.43 प्रतिशत मतदान हुआ तो वहीं रामपुर में 41.39 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इन सीटों पर मुख्य रूप से सपा और बीजेपी के बीच ही मुकाबला है।

रामपुर सीट- रामपुर से पहले आजम खान सांसद थे। उन्होंने बीजेपी की जया प्रदा को हराया था। रामपुर में 2019 के लोकसभा चुनाव में 63.19 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2014 में इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि 2009 में जया प्रदा यहां से सांसद बनीं थीं, तब वो सपा में ही थीं, लेकिन 2019 में वो बीजेपी में गईं और आजम खिलाफ भाजपा ने जया प्रदा को मैदान में उतारा था, हालांकि आजम खान यहां से काफी मतों से जीते थे।

हाल में हुए यूपी विधानसभा चुनावों में जब आजम खान विधायक चुने गए तो उन्होंने सांसदी से इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। यहां से भाजपा ने इस बार घनश्याम सिंह लोधी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बसपा और कांग्रेस ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है।

आजमगढ़ सीट- इसी सीट से पहले अखिलेश यादव सांसद थे, उनसे पहले उनके पिता मुलायम सिंह यादव सांसद थे, अब यहां से उन्होंने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने भोजपुरी गायक निरहुआ तो बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस यहां भी चुनाव नहीं लड़ रही है।

2019 के चुनाव में इस सीट पर 57.56 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। तब भी अखिलेश के सामने निरहुआ को ही बीजेपी ने उतारा था, लेकिन तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

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