पटना। पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने पटना में पकड़े गए PFI की तुलना आरएसएस से करके एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. पटना एसएसपी ने कहा कि जैसे आरएसएस की शाखा होती है और स्वयंसेवकों को ट्रेनिंग की दी जाती है. ठीक उसी प्रकार पीएफआई भी अपने लोगों को शारीरिक प्रशिक्षण देती है. मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देते हैं.
पटना एसएसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन आरोपियों का किसी भी धार्मिक संगठन का कोई लिंक नहीं मिला है. ये बिल्कुल अलग तरीक से काम करते थे. कोई भी काम पब्लिक प्रोफाइल में नहीं करते थे. हालांकि ये सभी सिमी के कार्यकर्ता हुआ करते थे.
नूपुर शर्मा मामले से नहीं कोई लिंक
उन्होंने बताया कि पीएफआई, एसटीपी जो संगठन हैं, उनके कई संगठन अंडरग्राउंड होते हैं. ये सभी उन्हीं संगठनों से जुड़े हुए थे. उन्हीं के नाम पर मीटिंग कर रहे थे और उसी की आड़ में ट्रेनिंग सेंटर आयोजित किए जा रहे थे. सभी लोग बिहार के ही थे. इनका अमरावती और उदयपुर से कोई कनेक्शन नहीं है. शारीरिक प्रशिक्षण देने के लिए शिविर आयोजित किए जा रहे थे. इनका विजन डॉक्यूमेंट है कि मुस्लिम समुदाय को जो भी प्रताड़ित करेंगे. हम उनकी सुरक्षा के लिए काम करेंगे. जो वर्तमान में जो FIR दर्ज हुई है उसका नूपुर शर्मा मामले से कोई लिंक नहीं है.
बता दें कि पटना पुलिस ने टेरर मॉड्यूल केस में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, जो एक खास समुदाय के लोगों को प्रशिक्षित कर रहे थे. इसके बाद इस पूरे मामले की जांच एनआईए ने भी शुरू कर दी है. इससे पहले पटना पुलिस ने फुलवाशरीफ से अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को गिरफ्तार किया था. इसके बाद मरगूब दानिश, अरमान मलिक और शब्बीर आलम को अरेस्ट किया गया.
पटना पुलिस का दावा है कि खास समुदाय के लड़कों का ब्रेनवॉश करने के बाद उन्हें प्रशिक्षण सिमी का सदस्य अतहर परवेज दे रहा था. अतहर परवेज का भाई मंजर आलम पटना के गांधी मैदान में साल 2013 में पीएम मोदी की हुंकार रैली और बोध गया में हुए बम धमाकों के गिरफ्तार हुआ था. वो फिलहाल जेल में है.