लखनऊ। उमेश पाल हत्याकांड में अब तक की पड़ताल में यूपी पुलिस को जो राज हासिल हुए हैं, वो बेहद चौंकाने वाले हैं. इस हत्याकांड में अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन का हाथ साफ-साफ दिख रहा है. अतीक तो जेल में बंद था, लेकिन उसकी साजिश पर जेल के बाहर शाइस्ता ही सारा खेल कर रही थी अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन अब यूपी पुलिस के टारगेट पर है. वो इस केस में मोस्टवांटेड है, क्योंकि सारा राज वही जानती है.
जया पाल के आंसुओं के लिए शाइस्ता है जिम्मेदार
जाहिर है कि यूपी पुलिस की बेचैनी बढ़ रही और उमेश पाल के परिवार वालों की चिंता कि आखिर हत्यारे कब पकड़े जाएंगे? एक तरफ उमेश पाल की पत्नी जया पाल हैं, जिनके आंसू अनवरत बह रहे. उन्होंने पति खोया है. जिंदगी के सबसे बड़े दुख से जिनका सामना है. वहीं दूसरी तरफ उनकी इस हालत के लिए एक महिला को ही जिम्मेदार माना जा रहा है. वो महिला कोई और नहीं अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन है.
शूटरों के संपर्क में थी शाइस्ता
शाइस्ता परवीन अब यूपी पुलिस की रडार पर है, क्योंकि वो प्रयागराज हत्याकांड की मास्टरमाइंड मानी जा रही है. जांच के साथ-साथ ये राज भी साफ होता जा रहा कि उमेश पाल की हत्या में शाइस्ता परवीन का अहम रोल था. मर्डर केस की पूरी प्लानिंग शाइस्ता परवीन ने ही की थी. साबरमती जेल से अतीक मैसेज देता, शाइस्ता उसे अंजाम तक पहुंचाती. शाइस्ता लगातार शूटरों के संपर्क में थी. शूटरों से एक-एक डिटेल डिस्कस कर रही थी.
पहली बार अतीक परिवार की किसी महिला पर केस
यूपी पुलिस के सूत्र बता रहे हैं कि शाइस्ता परवीन को अतीक ने बेहद सोच-समझकर अपराध के मैदान में उतारा है. माफिया डॉन अतीक का इरादा असद को अपराध की दुनिया में अपना वारिस साबित करना है और शाइस्ता को वो लेडी डॉन बनाना चाहता है, जो उसकी गैर-मौजूदगी में पूरे कुनबे को जोड़कर रख सके. ऐसा पहली बार हुआ कि अतीक के परिवार से किसी महिला का नाम वारदात से जुड़ा है. पहली बार परिवार की किसी महिला पर मुकदमा हुआ है.
सिपाही की बेटी है शाइस्ता, 1996 में हुई थी शादी
अतीक अहमद ने शाइस्ता को आगे बढ़ाया है, क्योंकि शाइस्ता अतीक से ज्यादा पढ़ी-लिखी है. शाइस्ता ने प्रयागराज किदवई गर्ल्स इंटर कॉलेज से पढ़ाई की. बाद में उसने ग्रेजुएशन किया. वो तेज-तर्रार महिला है और अतीक की कानूनी लड़ाई वही लड़ती रही है. शाइस्ता परवीन की शादी अतीक अहमद से 1996 में हुई थी. शाइस्ता परवीन, प्रयागराज के दामुपुर गांव की रहने वाली है और दिलचस्प बात ये है कि शाइस्ता के पिता यूपी पुलिस में सिपाही थे.
शाइस्ता की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगी
अब यूपी पुलिस सबसे पहले शाइस्ता की गिरफ्तारी की कोशिश में लगी है, क्योंकि शाइस्ता गिरफ्तार होती है तो अतीक के अपराध तंत्र के तमाम पेच आसानी से खुल सकते हैं. इस बीच खबर है कि उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने से पहले अतीक अहमद के बेटे और शूटरों के लीडर असद अहमद ने 16 मोबाइल और 16 सिम खरीदे थे. ये तमाम सिम और मोबाइल फर्जी नाम और पते से खरीदे गए, जो पहले से ही एक्टिव थे.
शाइस्ता ने की थी पूरी प्लानिंग
यानी प्री एक्टिवेटेड सिम खरीदकर असद ने हर शूटर को तीन-तीन मोबाइल और तीन-तीन सिम दिए थे. ये सबके पीछे जिसका दिमाग काम कर रहा था वो थी शाइस्ता परवीन. एसटीएफ की पड़ताल में सामने आया है कि उमेश की हत्या की योजना बनाने के लिए अतीक, उसका भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता, बेटा असद आपस में वॉट्सऐप ग्रुप कॉल के जरिए बातचीत कर रहे थे.
शाइस्ता ने शूटर को एक-एक लाख रुपये दिए
जांच में ये बात सामने आ गई है कि सामने आया है कि उमेश पाल की हत्या के बाद असद ने सारे शूटरों के मोबाइल जमा कर लिए थे और उनको नए मोबाइल और सिम दिए थे. उसने सबके मोबाइल पर वॉट्सऐप एक्टिवेट करके इसके जरिए ही संपर्क करने को कहा था. खुलासा ये भी हुआ है कि हत्याकांड को अंजाम देने के बाद शाइस्ता ने हर एक को एक लाख रुपये दिए और हत्याकांड को अंजाम देने के बाद हर एक शूटर से पुराने सिम और मोबाइल को छोड़ देने को कहा गया था.
यूपी पुलिस की एक चूक पड़ी भारी
लेकिन सवाल ये है कि जब शाइस्ता इस हद तक एक्टिव थी तो उसे पहले क्यों नहीं गिरफ्तार कर लिया गया? क्यों उसे बचकर फरार होने का मौका दिया गया? शायद ये चूक यूपी पुलिस को भारी पड़ी है. यूपी पुलिस को अब कड़ियां जोड़ने के लिए बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाना पड़ रहा है. प्रयागराज पुलिस की रडार पर अब 500 संदिग्ध कार है. जनवरी और फरवरी में बरेली और आसपास के इलाकों में आने जाने वाली प्रयागराज की 500 कार और उनके मालिक पुलिस के रडार पर हैं.
500 गाड़ियों का डाटा जुटा रही है पुलिस
पुलिस इन लोगों के बारे में और यहां आने जाने के कारण की तलाश कर रही है. इसके लिए पुलिस की कई टीमें लगाई गई हैं. इनका डाटा प्रयागराज पुलिस से भी शेयर किया गया है. उमेश पाल हत्याकांड से बरेली जेल का कनेक्शन जोड़ने के बाद पुलिस हर बिंदु पर पड़ताल कर रही है. पुलिस ने जनवरी और फरवरी में बरेली और आसपास के इलाकों में आने जाने वाली गाड़ियों का डाटा उठाया है. इस उम्मीद में कि कोई बड़ा सुराग हाथ लग जाए.