तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने पिछले दिनों विपक्षी एकता के लिए कोशिश की थी और उसका चेहरा बनने के मकसद से ही शायद अपनी पार्टी का नाम टीआरएस से बदलकर बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति कर दिया था। लेकिन अब उनकी चाल बदली नजर आ रही है। एक समय में विपक्षी एकता के लिए बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक कोशिश करने वाले केसीआर ने 23 तारीख को पटना में हुई मीटिंग के दिन ही बेटे केटीआर को अमित शाह से मिलने दिल्ली भेज दिया था। इस मीटिंग में क्या बात हुई, इससे ज्यादा चर्चा बैठक की टाइमिंग को लेकर थी।
दरअसल उनकी कोशिश है कि चंद्रपुर, औरंगाबाद, नांदेड़ और लातूर जैसे इलाकों में वह ज्यादा से ज्यादा नेताओं को अपने साथ जोड़ सकें। इस पर एनसीपी भी भड़की है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि केसीआर महाराष्ट्र में आकर भाजपा के खिलाफ पड़ने वाले वोट को बांटना चाहते हैं। यही नहीं तेलंगाना के किसानों की स्थिति महाराष्ट्र से बेहतर बताते हुए वह अकसर राज्य में एंट्री की कोशिश करते दिखते हैं। ‘अबकी बार, किसान सरकार’ का नारा देते हुए वह कहते हैं कि फसलों का तेलंगाना में महाराष्ट्र के मुकाबले ज्यादा दाम मिलता है।
पवार बोले- किसान तेलंगाना गए तो हकीकत पता चल गई
केसीआर के इन दावों पर सवाल उठाते हुए खुद शरद पवार ने सोमवार को कहा कि बहुत प्रचार था कि प्याज का दाम किसानों को महाराष्ट्र से ज्यादा तेलंगाना में मिल रहा है। इस प्रचार के चलते कई किसान तेलंगाना गए तो पता चला कि वहां तो महाराष्ट्र से कम दाम है। इस तरह वे लोग ठगा हुआ महसूस करके लौट आए। वहीं संजय राउत ने कहा कि केसीआर फिलहाल भाजपा की बी-टीम के तौर पर काम कर रहे हैं।