प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा के कार्य़काल को बढ़ाने के मामले में केंद्र सरकार को करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके सेवा विस्तार को अवैध करार दिया है और उन्हें 31 जुलाई तक दफ्तर छोड़ने का वक्त दिया है। अदालत ने कहा कि उन्हें तीसरा कार्यकाल विस्तार देना अवैध है। हालांकि अदालत ने DSPE और CVC ऐक्ट में संशोधन को सही करार दिया है, जिसके तहत सरकार सीबीआई और ईडी के डायरेक्टर को दो साल के निश्चित कार्यकाल के बाद तीन साल तक का सेवा विस्तार दे सकती है।
अदालत ने आदेश दिया है कि संजय कुमार मिश्रा 31 जुलाई तक कामकाज संभाल सकते हैं और तब तक केंद्र सरकार को दूसरी व्यवस्था देखनी होगी। अदालत ने साफ कहा कि संजय कुमार मिश्रा को 31 जुलाई तक का वक्त दफ्तर छोड़ने के लिए दिया जाता है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संजय मिश्रा को 22 नवंबर के बाद सेवा विस्तार नहीं मिलना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के अपने फैसले में कहा था कि मिश्रा को अब एक और सेवा विस्तार नहीं मिलना चाहिए।
यदि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश ना होता तो संजय कुमार मिश्रा का सेवा विस्तार के बाद नवंबर, 2023 में कार्यकाल समाप्त होता। केंद्र सरकार ने उन्हें बीते साल नवंबर में ही कार्यकाल विस्तार दिया था। तीन जजों की बेंच ने कहा कि संजय कुमार मिश्रा के पास 31 जुलाई तक का वक्त है। तब तक वे दफ्तर छोड़ दें और इस बीच केंद्र सरकार उनके स्थान पर किसी और को नियुक्त करे। आदेश पढ़ते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि 2021 में सीवीसी ऐक्ट और दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैबलिशमेंट ऐक्ट में संशोधन गलत नहीं है, लेकिन जब अदालत ने 2021 में ही फैसला दिया था तो फिर उन्हें सेवा विस्तार नहीं देना चाहिए था।
संजय कुमार मिश्रा को मिले सेवा विस्तार को कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई लोगों ने चुनौती दी थी। 1984 बैच के आईआऱएस अधिकारी संजय मिश्रा को आर्थिक मामलों का जानकार माना जाता है। मूल रूप से यूपी के रहने वाले मिश्रा ने इनकम टैक्स से जुड़े कई मामलों की जांच की थी, जो हाईप्रोफाइल केस थे। वह दिल्ली में इनकम टैक्स के चीफ कमिश्नर भी रह चुके हैं।