चंद्रयान-3 की सफलता के बाद क्रेडिट को लेकर सियासी खींचतान मची हुई है। कॉन्ग्रेस नेहरू से लेकर इंदिरा गाँधी तक को श्रेय देने में जुटी हुई है। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में उन्होंने कॉन्ग्रेस सरकार के दौर में इसरो की हालत पर बात की। नंबी नारायण ने आरोप लगाते हुए कहा है कि पिछली सरकारों को इसरो (ISRO) पर भरोसा नहीं था। भाजपा ने यह वीडियो शेयर कर कॉन्ग्रेस पर हमला बोला है।
वीडियो में नंबी नारायणन ने कहा है, “इसरो के पास कोई जीप या कार नहीं थी। सिर्फ एक बस थी। वह भी शिफ्ट के हिसाब से चलती थी। ये सब तो ठीक है। लेकिन जब अब्दुल कलाम पीएसएलवी-3 बनाने की कोशिश कर रहे थे, तब मुझे नहीं लगता है कि इतना बजट था जितने की माँग की जा रही थी। हालाँकि, बाद में बहुत अधिक समस्याएँ झेलने के बाद बजट दिया गया था। मैं इसके बारे में कोई शिकायत नहीं कर रहा हूँ लेकिन बात यह है कि सरकार को इसरो पर किसी प्रकार का भरोसा नहीं था।”
उन्होंने आगे कहा है, “इसके बाद जब हम पीएसएलवी के लिए बजट माँगने गए तब भी यही स्थिति थी। उस समय सबसे बड़ी समस्या सरकार की प्राथमिकता को लेकर थी। सरकार को भरोसा नहीं था। लेकिन बाद में समय के साथ इसरो ने अपने प्रदर्शन और सफलता के मामले में अपनी साख स्थापित की। इसरो पूरी तरह से भ्रष्टाचार मुक्त संस्थान के रूप में कार्य करने लगा और समर्पित लोग थे। इसके बाद जो हुआ वह सब जानते हैं।”
Listen to former ISRO scientist Nambi Narayanan. This is a damning indictment of Congress regimes, who had different priorities, never prioritised space research, funds were not allotted, ISRO had no jeeps or cars for research work. They had just one bus, which moved in shifts…… pic.twitter.com/Cc1SP1PO3a
— BJP (@BJP4India) August 27, 2023
वहीं इस वीडियो को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर करते हुए भाजपा ने कॉन्ग्रेस पर निशाना साधा। भाजपा ने लिखा, “इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को सुनिए। यह कॉन्ग्रेस पर एक गंभीर आरोप है। कॉन्ग्रेस की अलग-अलग प्राथमिकताएँ थीं। उन्होंने कभी भी इसरो प्राथमिकता नहीं दी। बजट नहीं दिया। इसरो के पास रिसर्च के लिए आने-जाने के कोई जीप या कार नहीं थी। सिर्फ एक बस थी, जो शिफ्ट के हिसाब से चलती थी। तब से लेकर अब तक प्रधानमंत्री मोदी ने बजट बढ़ाया है। वह हमारे वैज्ञानिकों की सफलता और असफलता दोनों में उनके साथ खड़े हैं। यही कारण है कि भारत ने अंतरिक्ष मिशन में एक लंबा सफर तय किया है।”