नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ तैयार विपक्षी एकता में पश्चिम बंगाल से लेकर उत्तर प्रदेश तक तालमेल की स्थिति नहीं दिख रही है। पहले लेफ्ट ने टीएमसी के साथ बंगाल में किसी भी तरह का समझौता करने से इनकार कर दिया। वहीं, उत्तर प्रदेश के नए नवेले कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के आने के बाद समाजवादी पार्टी (SP) के साथ कांग्रेस की दूरी लगातार बढ़ती दिख रही है। नया विवाद तब खड़ा हुआ जब, सपा को झटका देते हुए लखीमपुर खीरी से तीन बार के सांसद और प्रमुख कुर्मी (ओबीसी) नेता रवि प्रकाश वर्मा ने पार्टी छोड़ दी है। वह अब कांग्रेस में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
यूपी में बड़े कुर्मी नेता हैं रवि वर्मा
रवि प्रकाश वर्मा का सपा से बाहर जाना महत्वपूर्ण है क्योंकि वह राज्य में एक जाने माने कुर्मी नेता हैं। एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता बालगोविंद वर्मा लखीमपुर खीरी से चार बार सांसद रहे। वे इंदिरा गांधी कैबिनेट में मंत्री भी थे। 1980 में बालगोविंद की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी उषा ने उसी निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बाद में रवि प्रकाश वर्मा ने इस सीट से तीन बार जीतकर उनकी राजनीतिक विरासत संभाली।
खड़गे-प्रियंका से भी मीटिंग
कांग्रेस के साथ अपने परिवार के पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए पूर्वी ने अपने कदम को घर वापसी बताया। सूत्रों ने कहा कि वे पहले ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी से मिल चुके हैं। कुछ कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि सपा के और भी नेता उनके संपर्क में हैं, जो जल्द ही पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
सपा ने आरोप लगाया कि वर्मा ने अपने निजी हित में पार्टी छोड़ी। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कांग्रेस को भी घेरा है। उन्होंने कहा, ”हमें इंडिया गठबंधन के सदस्य के तौर पर बीजेपी से लड़ना है, लेकिन कांग्रेस इसके बजाय एसपी को निशाना बना रही है और हमें तोड़ रही है। एक गठबंधन धर्म है, जिसे वे हमें याद दिलाते हैं लेकिन खुद भूल जाते हैं। गठबंधन में हम अपने स्वयं के सहयोगियों पर दबाव नहीं डालते हैं।”
नीतीश ने भी कांग्रेस को घेरा था
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हाल ही में एक सियासी कार्यक्रम के दौरान इंडिया गठबंधन को लेकर कांग्रेस की बेरुखी को लेकर नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस को अभी सिर्फ पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की चिंता है। लोकसभा को लेकर सोच ही नहीं रही है।