दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. बीजेपी इसी रास्ते से गुजर कर लगातार दो बार सरकार बना चुकी है और तीसरी बार की जुगत में है. बीजपी ने 2024 में यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का टारगेट सेट किया है, जिसके लिए सियासी दांव भी चले जा रहे हैं. बीजेपी ने यूपी की 80 में से पांच सीटें अपने सहयोगियों को दी है तो 75 सीट पर खुद किस्मत आजमाने जा रही है. बीजेपी अपने कोटे की 75 में 51 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है, चूंकि बाराबंकी सीट से उम्मीदवार बनाए गए उपेंद्र रावत ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. इस तरह बीजेपी को 25 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करना है.
लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों को लेकर उत्तर प्रदेश बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक शनिवार शाम दिल्ली में हो सकती है. इस दौरान सूबे की बची हुई 25 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को लेकर चिंतन हो सकती है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत यूपी कोर ग्रुप के नेताओं की बैठक संभावित है. बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में एक भी मौजूदा सांसदों का टिकट नहीं काटा है, लेकिन अब जनरल वीके सिंह, वरुण गांधी, मेनका गांधी, बृजभूषण सिंह, रीता बहुगुणा जोशी और संतोष गंगवार जैसे दिग्गज नेताओं की किस्मत का फैसला होना है.
यूपी की 25 सीटों पर सस्पेंस
यूपी की जिन 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने अभी तक कैंडिडेट घोषित नहीं हुए हैं, उस पर पार्टी नेताओं की धड़कने बढ़ी हुई है. माना जा रहा है कि बीजेपी अपनी तीसरी लिस्ट में यूपी की बची 25 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर सकती है, जिसमें से कई सीट पर सरप्राइज नाम दे सकती है. यह सीटें मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, मेरठ, हाथरस, फिरोजाबाद, पीलीभीत, सुल्तानपुर, बदायूं, रायबरेली, कौशांबी, प्रयागराज, कैसरगंज, बरेली, कानपुर, गाजीपुर, मिर्जापुर, मछली शहर, बलिया, भदोही, देवरिया, मैनपुरी, फूलपुर, बाराबंकी और बहराइच है.
स्वामी की सजा संघमित्रा को मिलेगी?
बदायूं लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य हैं, जो स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी है. बीजेपी ने बदायूं सीट पर कैंडिडेट घोषित नहीं किया. सभी की निगाहें लगी है कि बीजेपी क्या संघमित्रा को दोबारा से टिकट देगी, क्योंकि उनके पिता स्वामी प्रसाद लगातार बयानबाजी कर रहे है और बीजेपी पर हमलावर हैं. बदायूं हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है, जहां से सपा ने धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर शिवपाल यादव को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने इस सीट को हरहाल में अपने पास रखना चाहती है, जिसके लिए किसी तरह का कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती.
बरेली-गाजियाबाद-मेरठ में टिकट
मेरठ लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें है. माना जा रहा है कि मौजूदा सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट पार्टी कट सकती है और उनकी जगह पर नए चेहरे को उतारने की चर्चा है. इसी तरह गाजिबाद लोकसभा सीट को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं. जनरल वीके सिंह दोबार से सांसद हैं और तीसरी बार टिकट की जुगत में है, लेकिन बीजेपी के स्थानीय नेता उनकी राह में अड़चन बन रहे हैं. ऐसे में देखना है कि बीजेपी जनरल वीके सिंह को उम्मीदवार बनाती है कि नहीं. बरेली लोकसभा सीट पर छह बार के सांसद संतोष गंगवार का नाम भी पहली लिस्ट में नहीं था, जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उनका टिकट काट सकती है. बीजेपी बरेली सीट से किसी नए चेहरे को उतारने की तैयारी में है.
वरुण और मेनका को टिकट मिलेगा?
बीजेपी ने जिन सीटों पर अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, उनमें वरुण गांधी की पीलीभीत और उनकी मां मेनका गांधी की सुल्तानपुर लोकसभा सीट भी शामिल है. वरुण गांधी जिस तरह बयान देते आ रहे हैं, उसके चलते माना जा रहा है कि पार्टी पीलीभीत सीट से उनका टिकट काटकर नए चेहरे को उतारने के कयास लगाए जा रहे हैं. इसी तरह सुल्तानपुर की सीट पर भी सबकी निगाहें लगी हैं कि मेनका गांधी को पार्टी दोबारा उम्मीदवार बनाएगी कि नहीं. इस तरह वरुण गांधी और मेनका गांधी दोनों पर संशय बना हुआ है, जिस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.
बृजभूषण-बहुगुणा का क्या होगा?
बीजेपी की पहली लिस्ट में प्रयागराज और कैसरगंज सीट के उम्मीदवारों के नाम नहीं थे. प्रयागराज से रीता बहुगुणा जोशी सांसद हैं तो कैसरगंज सीट से बृजभूषण सिंह सांसद है. बहुगुणा ने 2022 में ही राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया था, जिसके चलते माना जा रहा है कि बीजेपी प्रयागराज से किसी नए चेहरे को उतार सकती है. वहीं, कैसरगंज लोकसभा सीट पर बीजेपी ने भले ही पत्ते नहीं खोले हों, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह चुनाव लड़ने का ताल ठोक रखी है, बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे, जिसका मामला अभी भी चल रहा. ऐसे में सभी की निगाहें हैं कि बीजेपी क्या उन्हें टिकट देती है कि नहीं?
मैनपुरी-बरेली में BJP किसे देगी टिकट
बीजेपी ने सपा के मजबूत गढ़ मैनपुरी और गांधी परिवार का दु्र्ग माने जाने वाली रायबरेली सीट पर भी अपने कैंडिडिटे घोषित नहीं किए. मैनपुरी सीट से सपा की डिंपल यादव सांसद हैं और दोबारा से चुनावी मैदान में उतरी हैं. बीजेपी ने दो चुनाव से शाक्य उम्मीदवार पर दांव खेल रही है, लेकिन इस बार बदलाव के मूड में है. वहीं, रायबरेली सीट बीजेपी मोदी लहर में भी नहीं जीत सकी है, लेकिन सोनिया गांधी के यह सीट छोड़ने के बाद बीजेपी की नजर इस सीट पर है. सपा विधायक मनोज पांडेय को बीजेपी ने अपने खेमे में मिला लिया है ताकि मजबूती से चुनाव लड़ सके. ऐसे में देखना है कि बीजेपी इस बार मैनपुरी और रायबरेली सीट से किसे उतारती है.
नजर देवरिया की सीट पर भी होगी जहां से सांसद रमापति राम त्रिपाठी हैं. इसके अलावा, मुरादाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, फिरोजाबाद, हाथरस, बलिया सीट पर भी निगाहें हैं. मुरादाबाद और सहारनपुर में विपक्ष का कब्जा है जबकि बाकी सीट पर बीजेपी के सांसद है. पार्टी अपने मौजूदा सांसदों के जीत को लेकर कॉफिडेंस में नहीं दिख रही है. बलिया से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट बीजेपी काट सकती है. इसके अलावा गाजीपुर लोकसभा सीट पर भी पेच फंसा हुआ है, जहां पर बीएसपी का कब्जा है. बीएसपी से जीते सांसद अफजाल अंसारी इस बार सपा से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिसे बीजेपी अपने कब्जे में लेने की कोशिश में है.