नई दिल्ली। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Elections 2018) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावों में बीजेपी के कांग्रेस से पिछड़ने के बाद कहा कि उनकी पार्टी को सबसे ज्यादा वोट जरूर मिले लेकिन हमें स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. लिहाजा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे. संख्याबल के आगे सिर झुकाते हैं. लिहाजा मैं राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने जा रहा हूं. उन्होंने जिस अंदाज में ये बात कही उससे 1996 में वह अटल बिहारी वाजपेयी का वह भाषण याद आ गया जब उनकी 13 दिन पुरानी सरकार अपेक्षित बहुमत नहीं जुटा पाई तो उन्होंने लोकसभा में भाषण देते हुए कहा था कि जनता ने विपक्ष को जनादेश नहीं दिया था लेकिन लोकतंत्र में बहुमत का खेल होता है. ऐसे में हम संख्याबल के सामने शीश झुकाते हैं. मैं इसके साथ ही राष्ट्रपति के पास अपना इस्तीफा देने जा रहा हूं.
इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि पराजय की जिम्मेदारी मेरी, मेरी और सिर्फ मेरी है. अब मैं पूरी तरह मुक्त हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं ने अनथक प्रयास किया. हमको वोट भी ज्यादा मिले. लेकिन स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. हम कमलनाथ को बधाई देते हैं. इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने अटल जी की प्रसिद्ध पंक्तियों का भी जिक्र किया, ”ना हार में, ना जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं, कर्तव्य पथ पर जो भी मिले, ये भी सही वो भी सही.”
जब गिर गई अटल जी की 13 दिन पुरानी सरकार
1996 के आम चुनावों में बीजेपी पहली बार सबसे बड़े दल के रूप में उभरी. पार्टी को 161 और कांग्रेस को 140 सीटें मिली थीं. राष्ट्रपति ने बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी को सबसे बड़े दल के नेता के नाते सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. उनको 13 दिनों में बहुमत साबित करना था. लेकिन विपक्षी दल एकजुट हो गए. लिहाजा वाजपेयी बहुमत नहीं जुटा पाए. उन्होंने विचारधारा के आधार पर दलों से समर्थन मांगा लेकिन उनको बहुमत नहीं मिल पाया.
लिहाजा अटल बिहारी वाजपेयी ने इस्तीफा देने से पहले 28 मई, 1996 को संसद में यादगार भाषण दिया.
उन्होंने कहा, ”हम थोड़ी ज्यादा सीटें नहीं ला सके. ये हमारी कमजोरी है. हमें बहुमत मिलना चाहिए था. हमें सरकार बनाने को राष्ट्रपति ने अवसर दिया, लेकिन हमें सफलता नहीं मिली. हम सदन में सबसे बड़े विरोधी दल के रूप में बैठेंगे और आपको हमारा सहयोग लेकर सदन चलाना पड़ेगा.” उसके बाद अटलजी ने अपने भाषण में कहा, ”हम संख्याबल के सामने सिर झुकाते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं अपना इस्तीफा राष्ट्रपति जी को देने जा रहा हूं.”
बसपा ने दिया कांग्रेस को समर्थन
इससे पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों के परिणाम आने के बाद 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस को बसपा समर्थन देगी. खुद बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह ऐलान किया. राज्य में बसपा को दो सीटों पर जीत हासिल हुई है. इस तरह राज्य में कांग्रेस को बीएसपी के समर्थन से बहुमत का 116 सीटों का जादुई आंकड़ा हासिल हो गई है और अब वह सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने पेश कर सकते हैं. बीजेपी को 109 सीटें मिली हैं.
मायावती ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी गलत नीतियों की वजह से चुनावों में हारी है. हालांकि उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि राज्यों के विधानसभा चुनाव में हम अपेक्षा के मुताबिक सीटें जीतने में कामयाब नहीं हुए, लेकिन मैं हमारी पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करती हूं.
उन्होंने कहा कि दिल पर पत्थर रखकर तीनों राज्यों में जनता ने कांग्रेस को चुना. साथ ही उन्होंने कांग्रेस के लिए भी कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के लोगों की कांग्रेस पार्टी के राज के दौरान ही ज्यादा उपेक्षा रही है व बीजेपी के राज में भी इनकी उपेक्षा होनी बंद नहीं हुई.
उन्होंने आगे कहा कि मैं यह भी याद दिलाना चाहती हूं कि आजादी के बाद भी केंद्र में ज्यादातर कांग्रेस का एकछत्र राज रहा है, लेकिन इस पार्टी के शासनकाल के दौरान इन वर्गों का भला नहीं हो सका. इस वजह से ही मैं हमें अलग से राजनीतिक पार्टी बसपा बनानी पड़ी. अर्थात कांग्रेस ने बाबा साहेब की सोच के मुताबिक, इन वर्गों का विकास व उत्थान कर दिया होता तो इनके हितों में अलग से पार्टी नहीं बनानी पड़ती.
बसपा प्रमुख ने आगे कहा, हमें ये भी मालूम है कि ये पाटियों इन वर्गों के प्रति हीन न संकुचित मानसिकता के चलते हमारी पार्टी को कामयाब नहीं होने देना चाहती हैं. हमें कतई हिम्मत नहीं हारनी है. इनके सभी हथकंडों का मुकाबला करते हुए अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना है.
उन्होंने कहा कि हम अपेक्षा के मुताबिक, अच्छी जीत न मिलने के मुख्य कारणों का विश्लेषण करेंगे और मैं अपने कार्यकर्ताओं से अपील करती हूं कि आगामी लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने के जी-जान से जुट जाइये. अंत में मैं यह भी कहना चाहती हूं कि हमने यह चुनाव बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए जी-जान से लड़ा. हमारी पार्टी इस मकसद में कामयाब नहीं हो सकी. लिहाजा, हमने यह तय किया है कि एमपी में हमारी पार्टी अभी कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान करती है. अगर राजस्थान में भी समर्थन देने की जरूरत महसूस हुई तो बीजेपी को सत्ता से रोकने के हम कांग्रेस को वहां भी साथ देने को तैयार है. हम छत्तसीगढ़ में पहले ही वहां समर्थन दे ही चुके हैं.