लखनऊ। अयोध्या में विवादित स्थल पर नमाज पढ़ने की इजाजत मांगने से जुड़ी याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. इतना ही नहीं, कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले संगठन अल-रहमान खिलाफ पांच लाख का जुर्माना लगाया है. अदालत ने साथ ही यह भी कहा की ऐसी याचिकाएं अदालत का वक्त बर्बाद करने और समाज में नफरत फैलाने के मकसद से डाली गई है.
बता दें कि कुछ दिन पहले अल-रहमान नाम के संगठन ने अयोध्या में विवादित स्थल पर मुसलमानों को दी गई जगह पर नमाज पढ़ने की इजाजत मांगी थी. संगठन ने दावा किया था कि विवादित स्थल पर स्थित राम मंदिर पर हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत है. ऐसे में मुसलमानों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिए. इतना ही नहीं, याचिका में 2010 में अयोध्या मामले पर हाई कोर्ट के फैसले में मुस्लिम पक्षकारों को मिली जमीन का भी हवाला दिया था.
कोर्ट ने अल-रहमान संगठन की याचिका में किए गए सभी दावों को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने संगठन को फटकार लगाते हुए उस पर पांच लाख का जुर्माना लगाया और उसकी कोर्ट के समय खराब करने के लिए सख्त टिप्पणी की है. अल-रहमान संगठन उत्तर प्रदेश के रायबरेली के पते पर रजिस्टर्ड है. संगठन इस्लाम का प्रचार-प्रसार करता है.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान में बराबर-बराबर बांट दी जाए. इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2011 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी. हालांकि इस मामले से जुड़ी याचिका पर जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.