नई दिल्ली। आज से नए साल का आगाज हो गया है. ऐसे में आपको बता दें कि बहुत सारी चीजों के लिए 31 दिसंबर आखिरी तारीख थी. इसलिए, अगर आपने उन चीजों को पूरा नहीं किया होगा तो आपको अब उसकी कीमत चुकानी होगी. ऐसी ही जरूरी कामों में एक थाफाइनेंशियल ईयर 2017-18 का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना. वैसे तो रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त 2018 तक ही थी, लेकिन उसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2018 तक कर दिया गया था. लेकिन, उसके लिए आपको 5000 रुपये तक पेनाल्टी भरना पड़ता.
अगर आपने इस डेडलाइन को भी मिस कर दिया है तो अब आपको 5000 की जगह 10000 जगह पेनाल्टी भरना होगा. इसको लेकर इनकम टैक्स विभाग ने विज्ञापन भी जारी करवाया था. विज्ञापन में कहा गया था कि वैसे करदाता जो अब तक आईटीआर दाखिल नहीं कर सके हैं वे 31 दिसंबर से पहले इसे फाइल कर दें. अन्यथा निर्धारण वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2018-19 की समय सीमा के बाद रिटर्न दाखिल करने पर आपको पेनाल्टी भरना होगा. आयकर विभाग के मुताबिक निर्धारण वर्ष का मतलब उस वर्ष से हैं, जो वित्त वर्ष के बाद आता है. इसे आप उदाहरण से समझ सकते हैं. वित्त वर्ष 2018-19 का निर्धारण वर्ष 2019-20 होगा.
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त थी. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, सिर्फ केरल के लोगों को इस तिथि के बाद भी रिटर्न भरने की इजाजत दी गई थी. पेनाल्टी का नियम लागू होने से पहले देर से रिटर्न भरने पर पेनाल्टी लगाने का फैसला लेने का अधिकार आयकर अधिकारी को था.
सरकार की तरफ से साल 2017 के बजट में इस नियम में परिवर्तन किया गया. इसके लिए इनकम टैक्स एक्ट में संशोधन किया गया. संशोधित नियम (सेक्शन 234एफ) के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति समय सीमा के बाद रिटर्न दाखिल करता है तो उसे लेट फीस चुकानी पड़ेगी और यह देरी पर लगने वाली पेनाल्टी की अधिकतम राशि 10,000 रुपये होगी.
किसी वित्त वर्ष में तय समय सीमा के बाद लेकिन 31 दिसंबर से पहले रिटर्न भरने पर लेट फीस 5000 रुपये देनी होती है. इसी प्रकार अगर आयकर रिटर्न संबंधित निर्धारण वर्ष में 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच दाखिल किया जाता है तो लेट फीस 10,000 रुपये होगी. कुल मिलाकर लेट फीस इस बात पर निर्भर करेगी कि करदाता ने रिटर्न कब दाखिल किया है.