बेंगलूरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि भारत ने इस साल ‘अत्यधिक जटिल’ चंद्रयान-2 सहित 32 मिशनों को अंजाम देने की योजना बनाई है. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि 2022 तक अंजाम दिए जाने वाले मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए इस साल युद्ध स्तर पर तैयारी होगी.
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने नववर्ष के एक संदेश में कहा, ‘वर्ष 2019 इसरो समुदाय के लिए सर्वाधिक चुनौतियों वाला साल होगा जिसमें 32 मिशनों (14 प्रक्षेपण यान, 17 उपग्रह, एक टेक डेमो मिशन) को अंजाम देने की योजना है.’
‘सर्वाधिक जटिल मिशन चंद्रयान-2 का’
उन्होंने कहा, ‘इसमें सर्वाधिक जटिल मिशन चंद्रयान-2 का है जो सेकंड लॉंच पैड (एस एल पी) से 25वां मिशन होगा. साथ ही इसमें लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एस एस एल वी) की उड़ान शामिल हैं.’ सूत्रों ने कहा कि चंद्रयान-2 को फरवरी के मध्य तक रवाना किए जाने की संभावना है, लेकिन कोई तारीख तय नहीं हुई है.
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,’हम सभी पूरी कोशिश कर रहे हैं, मिशन प्रक्षेपण फरवरी में संभव होना चाहिए.’ अधिकारी ने कहा, ‘कोई बाधा नहीं है. काम सही तरह से हो रहा है.’ चंद्रयान-2 पूरी तरह से स्वदेशी उपक्रम है जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा.
इसरो के अनुसार लैंडर चंद्रमा की सतह पर एक निर्दिष्ट स्थान पर उतरेगा और वहां एक रोवर तैनात करेगा. छह पहियों वाला रोवर धरती से मिलने वाले दिशा-निर्देशों के अनुरूप अर्द्ध-स्वायत्त तरीके से चंद्रमा की सतह पर लैंडर के उतरने के स्थान के इर्द-गिर्द घूमेगा. रोवर में लगे उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और संबंधित जानकारी वापस भेजेंगे. यह जानकारी चंद्रमा की मिट्टी के विश्लेषण के लिए लाभकारी होगी.
वहीं, 3,290 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाएगा और दूरस्थ संवेदी अध्ययन करेगा. इसरो ने कहा कि उपकरण चंद्र स्थल की आकृति, खनिज तत्व प्रचुरता, चंद्रमा के बहिर्मंडल और हाइड्रोक्सिल और जल-हिम का अध्ययन करेंगे.
चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्र मिशन था. इसरो ने इसे अक्टूबर 2008 में प्रक्षेपित किया था और यह अगस्त 2009 तक परिचालन में रहा. सिवन ने कहा कि इस साल गगनयान संबंधी तैयारियां युद्धस्तर पर होंगी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी गगनयान कार्यक्रम को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में 9,023 करोड़ रुपये की लागत वाले गगनयान कार्यक्रम को मंजूरी दी थी. मिशन का उद्देश्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों को धरती की निचली कक्षा में ले जाने का और फिर उन्हें धरती पर एक निर्दिष्ट स्थल पर सुरक्षित वापस लाने का है.
सिवन के अनुसार इसरो रिसैट (रडार इमेजिंग सैटेलाइट) श्रृंखला के जरिए अपनी माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग क्षमता को बहाल करने और जिसैट (जीओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉंच व्हीकल) श्रृंखला के जरिए क्रियाशील जीओ-इमेजिंग क्षमता प्राप्त करने पर जोर दे रहा है.
अंतरिक्ष संगठन की जीएसएलवी (जीओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉंच व्हीकल) और इसके वैरियंट्स की उपकरण क्षमता में सुधार करने की भी योजना है. जीसैट-20 के प्रक्षेपण के साथ भारत डिजिटल इंडिया और उड़ान कनेक्टिविटी में उच्च प्रवाह बैंडविड्थ की आवश्यकता को पूरा कर लेगा.
सिवन ने कहा कि 2019 भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम ए साराभाई का जन्मशताब्दी वर्ष है. इस उपलक्ष्य में देश-विदेश में सालभर कार्यक्रम चलेंगे जो 12 अगस्त 2019 से शुरू होंगे.
वर्ष 2018 को सभी दिशाओं में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ कई ‘शुरुआतों’ का साल करार देते हुए सिवन ने कहा कि इसरो ने इस साल 16 मिशन पूरे किए और सात सफल मिशन तो 35 दिन के भीतर ही हो गए. इनमें एक ही साल में दो जीएसएलवी मिशनों को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया.
वर्ष 2018 की एक बड़ी पहल ‘उन्नति’ कार्यक्रम की रही जो एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जो नैनो उपग्रह समुच्चयन एवं प्रशिक्षण संबंधी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है. इस पर 34 देशों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है.